टेलीफोन बैंकिंग बनाम नेटबैंकिंग

राजेन्द्र द्विवेदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गाँधी एवं विरोधी दलों के सदस्यों  के सदन में विश्वासमत के दौरान लगाए गए आरोपों का अपने तरीके से राजनीतिक लाभ-हानि के दृष्टिकोण से जबाब दिया। इस जबाब में सबसे महत्पूर्ण बिंदु प्रधानमंत्री द्वारा टेलीफ़ोन बैंकिंग का खुलासा है। मोदी ने देश में बढ़ रहे NPA पर कांग्रेस सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा देश में नेट बैंकिंग तो बहुत बाद में आयी है लेकिन टेलीफ़ोन बैंकिंग बहुत पहले से चल रही हैं। कांग्रेस सरकार ने बैंको में लोन देने के लिए टेलीफ़ोन करके दवाब बनाया गया जिसका परिणाम ये रहा है की आज देश में NPA में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। मोदी ने कांग्रेस पर NPA बढ़ाने का आरोपों का जबाब देते हुए बड़े ही खुले शब्दों में कहा कि कांग्रेस सरकार में मनमाने तरीके से टेलीफ़ोन करके अरबों-खरबों का कर्ज दिलाया और एक क़र्ज़ को पूरा करने दूसरा क़र्ज़, दूसरे को पूरा करने के लिए तीसरा क़र्ज़, तीसरे को पूरा करने के लिए चौथा क़र्ज़। कर्ज़ों की ऐसी श्रृंखला बना दी कि बैंक दीवालिया होने के कगार पर थे। कांग्रेस सरकार सच्चाई को दबाये हुए थी। भाजपा सरकार ने बैंको के कर्ज़ों की असलियत सामने लाई है जिससे बड़े हुए NPA दिखाई दे रहे हैं। ढाई लाख करोड़ का NPA साढ़े दस लाख करोड़ रूपये हो गया है।

प्रधानमंत्री टेलीफ़ोन बैंकिंग बनाम नेटबैंकिंग पर बयान देने से बड़े हुए NPA का जबाव नहीं मिल पा रहा है। मोदी को पिछले तीन दशक में NPA कैसे बढ़े और 2014 के पहले NPA के क़र्ज़ किसको और कितनी धनराशि और किस नेता के फ़ोन पर दी गयी इसका भी खुलासा करना चाहिए केवल बयान देने से आरोपों का जबाव नहीं मिल जाता। ढाई लाख करोड़ से साढ़े दस लाख करोड़ NPA हुआ है आखिर बड़ा हुआ आठ लाख करोड़ NPA 2014 के बाद कैसे प्रकाश में आया और ये धनराशि किन-किन उद्योगपतियों को दी गयी है इसका भी विवरण दिया जाना चाहिए। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललित मोदी सहित 31 लुटेरे देश के गरीब जनता का करोडो रूपये लेकर कैसे भाग गए। इनको क़र्ज़ दिलाने में किसकी भूमिका रही है, केवल चंद अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने से अरबों की सम्पति लूटने वालों का जवाब नहीं है। अडानी एवं अम्बानी को दिए गए कर्ज़ों का भी श्वेत पत्र में जिक्र करना चाहिए कि कांग्रेस सरकार में इन्हे बैंकों से कैसे-कैसे क़र्ज़ मिले और भाजपा सरकार बनने के बाद इन्हे कितना और कहाँ-कहाँ से क़र्ज़ मिला है। प्रधानमंत्री अगर बढे हुए NPA का विवरण तथ्यों सहित श्वेत पत्र जारी नहीं करते है तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और केंद्र सरकार पर NPA बढ़ने का आरोप लगाने वाले राजनितिक दल की भी जिम्मेदारी होती है कि वह 2014 के बाद बड़े हुए आठ लाख करोड़ NPA का विवरण तथ्यों सहित देश की सवा सौ करोड़ जनता को बताएं या फिर आरोप लगाना बंद कर दें।
प्रधानमंत्री के टेलीफोन बैंकिंग के खुलासे के बाद  RBI कटघरें में है। जब बैंकों द्वारा टेलीफोन से अरबों धनराशि क़र्ज़ दी जा रही थी तो RBI क्या कर रही थी ?

 

 

 

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