ना सरकार जीती ना विपक्ष – देश हारा

अर्बन मिरर संवाददाता

नई दिल्ली 20 जुलाई , कल देर रात लोक सभा में प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव मोदी सरकार काफ़ी लम्बे दायरे 325-126 से जीत गयी लेकिन जिस तरह से लोक सभा में दिन भर चर्चा हुई उसको देखकर यह कहा जा सकता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को देश को आगे ले जाने के लिए अभी काफ़ी लम्बा सफ़र शायद अभी भी तय करना बाक़ी है । सत्ता पक्ष या विपक्ष दो नो ही के सदस्य ,ऐसा लग रहा था कि वह किसी राज्य की विधान सभा में बैठ कर अपने अपने राज्यों के कृत्य या कुकृत्यों पर चर्चा कर रहे हों। अविश्वास प्रस्ताव को प्रस्तुत करने वाले तेलुगु देशम पार्टी के सांसद तो सिर्फ़ आन्ध्र प्रदेश के साथ हो रहे अन्याय और विशेष राज्य का दर्जा ना मिलने के लिए केन्द्र सरकार को कोसते नज़र आए । घंटे भर से ज़्यादा समय के दौरान वह केवल यह गणित लगते दिखे कि आन्ध्र प्रदेश को कितनी धनराशि मिलनी थी और कितनी मिल पायी। इसी तरह मध्य प्रदेश के भाजपा सांसद सिर्फ़ मध्य प्रदेश की सरकार का गुणगान करने में व्यस्त दिखे। कांग्रिस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी के पास कल एक सुनहरा मौक़ा था कि वह मोदी सरकार के चार साल की विफलताओं को देश के सामने लाते लेकिन घंटे भर से ज़्यादा का उनका भाषण सिर्फ़ राफ़ेल विमान सौदे में हुए भ्रष्टाचार और सूट बूट की सरकार जैसे आरोपों के इर्द गिर्द घूमता रहा। भाषण के बाद प्रधान मंत्री से ज़बरदस्ती गले लगने की राहुल की क़वायद के क्या मायने निकाले जाएँ , यह तो राहुल गांधी ही बता सकते हैं । लेकिन प्रधान मंत्री द्वारा अपने उत्तर में राहुल गांधी द्वारा गले लगने पर उनकी हँसी उड़ाना भी दुर्भागपूर्ण ही कहा जाए गा । बारह घंटे तक चली बहस में देश की किसी भी मूल भूत समस्या के समाधान में मोदी सरकार की विफलता पर कोई भी विचार पूर्ण और सारगर्भित चर्चा का अभाव साफ़ दिखा जो देश के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता ।

देश की सर्वोच्च संस्था संसद के ऊपर ही देश को आगे ले जाने और नागरिकों के सुख दुःख की परवाह करने की ज़िम्मेदारी है इसलिए ऐसी संस्था में होने वाली चर्चा और ख़ास तौर पर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान होने वाली चर्चा का स्तर इस बात को दर्शाता है कि देश के रूप में हम आज की चुनौतियों का सामना करने के लिए कितने तैयार हैं। इस दृष्टि से कल अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस निराशाजनक ही कही जाए गी ।

 

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